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  1. अंग्रेजी अच्छे से कैसे सीखें: यदि भारतीय शासक यह भी जान लें कि अंग्रेजी सीखने का सही तरीका क्या है तो भी देस का कल्याण हो जाए| यूनेस्को की पुस्तक (इम्प्रूवमेंट इन द कुआलटी आफ़ मदर टंग - बेस्ड लिटरेसी ऐंड लर्निंग, २००८, पन्ना १२) से निम्न उक्ति इस बारे में दुनिया भर की खोज का सारांश पेश करती है:
    “हमारे रास्ते में बड़ी रुकावट भाषा एवं शिक्षा के बारे में कुछ अंधविश्वास हैं और लोगों की आँखें खोलने के लिए इन अंधविश्वासों का भंडा फोड़ना चाहिए। ऐसा ही एक अन्धविश्वाश यह है कि विदेशी भाषा सीखने का अच्छा तरीका इसका शिक्षा के माध्यम के रूप में प्रयोग है (दरअसल, अन्य भाषा को एक विषय के रूप में पढ़ना ज्यादा कारगर होता है)। दूसरा अंधविश्वास यह है कि विदेशी भाषा सीखना जितनी जल्दी शुरू किया जाए उतना बेहतर है (जल्दी शुरू करने से लहजा तो बेहतर हो सकता है पर लाभ की स्थिति में वह सीखने वाला होता है जो मातृ-भाषा में अच्छी मुहारत हासिल कर चूका हो)। तीसरा अंधविश्वास यह है कि मातृ-भाषा विदेशी भाषा सीखने के राह में रुकावट है (मातृ-भाषा में मजबूत नींव से विदेशी भाषा बेहतर सीखी जा सकती है)। स्पष्ट है कि ये अंधविश्वास हैं और सत्य नहीं। लेकिन फिर भी यह नीतिकारों की इस प्रश्न पर अगुवाई करते हैं कि प्रभुत्वशाली (हमारे संदर्भ में अंग्रेज़ी – ज.स.) भाषा कैसे सीखी जाए।" विस्तार के लिए 'भाषा नीति के बारे में अंतरराष्ट्रीय खोज: मातृ-भाषा खोलती है शिक्षा, ज्ञान और अंग्रेज़ी सीखने के दरवाज़े' दस्तावेज़ हिंदी, पंजाबी, तामिल, तेलुगू, कन्नड़, डोगरी, मैथिली, ऊर्दू, नेपाली, कोसली, मराठी और अंग्रेजी में http://punjabiuniversity.academia.edu/JogaSingh/papers पते से पढ़ा जा सकता है। भाषा के मामलों के बारे में पंजाबी में तीन वाकचित्र (वीडियो) http://www.youtube.com/watch?v=a8w6xNrCP88, http://www.youtube.com/watch?v=w4njNvR4UI0&feature=share और http://www.youtube.com/watch?v=Ux8Bg95BSRg से देखे जा सकते हैं।

    एक वाकचित्र हिंदी में https://www.youtube.com/watch?v=tHUfdRS2MWE&feature=youtu.be से देखा जा सकता है।

    एक वाकचित्र अंग्रेजी में https://www.youtube.com/watch?v=Xaio_TyWAAY&feature=youtu.be. से देखा जा सकता है| पुरज़ोर विनती है कि यहां और सम्बन्धित दस्तावेज़ में वर्णित तथ्य जैसे भी संभव हो और भारतीयों के सामने लाकर भारतीय भाषाओं के लिए संघर्ष में अपना योगदान दें।
    मातृ-भाषाओं की जय!

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